आप जिस दफ्तर में दिन-रात काम कर रहे हैं, वहां के माहोल और रहन सहन का मानसिक और शारीरिक,दोनों तरह के स्वास्थ्य पर बहुतअसर पड़ता है, क्योंकि 24 घंटे में से कम से कम 8 घटे सामान्य तौर पर दफ्तरों में गुजरते है जो जीवनशैली का एक बड़ा हिस्सा है। सामान्य तौर पर पूरे दिन दफ्तर में लगातार बैठकर काम करना, फिर ऑफिस या पब्लिक ट्रांस्पोर्ट में बैठकर घर आना डिनर करना और सो जाना ही हमारी दिनचर्या का हिस्सा बन जाता है। अगले दिन फिर इसी दिनचर्यां का अनुसरण करना होता है। यही जीवनशैली वर्षों चलती है जिसका परिणाम कई तरह की बीमारियों और मानसिक तनाव में निकलता है। इसका प्रबंधन किया जाना चाहिए। काम के दबाव के बावजूद अपनी शारीरिक सेहत को संतुलित करके रखाना जाना जरूरी है







इन बातों का रखें ध्यान

औषधि :-

1.समय पर नीद न आने या नींद ज्यादा आने जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। तो बिना किसी हिचक के मनोचिकित्सक से परामर्श लें। ऐसे लक्षणों को सामान्य नहीं मानना चाहिए।

2.छुट्टियों में थोड़ा आराम करें, ताकि शरीर अपने आपको बेहतर कर सके। कुछ लोग ऑफिस से अतिरिक्त काम लेकर छुट्टियों के समय में भी काम करते रहते हैं। अगर आप भी ऐसा करते हैं तो शरीर को इसका नुकसान उठाना पड़ेगा ।

3.ऑफिस में कई बार सहकर्मियों की वजह से भी तनाव हो सकता है। अगर काम को लेकर कोई विवाद है तो उसे सही तरीके से सुलझाने की कोशिश की जानी चाहिए। यह भी ध्यान रखें कि आपके व्यवहार से किसी सहकर्मी को ठेस न पहुंचे।

4.अगर ऑफिस में लगातार तनाव बने रहने का कोई कारण समझ में आता है और उसके लिए ऑफिस में किसी से बात करने की जरूरत महसूस होती है, तो बात जरूर करें। इस बात का ध्यान रखें कि लगातार तनाव में रहकर आप अपने काम में बेहतर परिणाम नहीं दे सकते।


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